पिशाचनी से जीत गयी सुहागन
आज कितने इंतजार के बाद यह दिन नसीब हुआ है हएक माँ बाप के अरमान होते हैं उसका बेटा सेहरा बांधे घोड़ी चढ़े और सुतरी सी बहु घर आँगन डोले और उसकी चूड़ी पायल से सारा घर आँगन गूंज उठे यही सपने कब से भैरोंसिंह और उनकी पत्नी देख रहे थे अपने बेटे सत्यम के लिए ,दो ही औलादें थी एक बेटा एक बेटी बेटी तो पराए घर की अमानत थी सो चली गयी कभी आ जाती तीस त्यौहार मेहमान की तरह।
अब जब बहु आएगी तो साथ लाएगी उनके जीवन की रौनक ।
बस इसी रो नक के लिए जमाने की रौनक लगी थी कल बारात जानी थी सुबह कितने काम हैं कैसे होंगे सारे सब अच्छे से निपट जाए यही कामना है प्रभु से यही सब सोच था दोनों को इकलौता बेटा कोई कमी न रह जाये किसी तरह से।
उधर सत्यम के मन मे सपनों का पूरा वाग खिल चुका था बस उसकी
मालकिन आने की देरी थी जो उन गुंचों को अपनी खुशबू से सेराब कर दे कैसे दिन कटे यही सोचकर करवटें बदल रहा था ।
पर अचानक से जाने क्या हुआ उसका सारा बदन तपने लगा मानो किसी ने आग की भट्टी में झोंक दिया दो पल में पसीने से भीग गया और अचानक आँखे बन्द होती चली गयीं जब आँखे खुली तो सुबह के 6
बज चुके थे अब शरीर एक दम ठीक था पर रात क्या हो गया था।
कोई न अब मन एकदम प्रसन्नं था हो भी क्यों न आज वो घड़ी आ गयी थी जिसका उसे पिछले कई सालों से इंतजार था।
सारे काम निपटा कर जल्दी से जाना है अपनी दुल्हनियां लेने सोचने मात्र से ही यह हाल फिर सामने आने पर क्या होगा खुदा जाने।
माँ की आवाज के साथ दौड़ गया जी मां ,
अभी तक सोए हो देखो कितना काम बाकी है ,
अरे माँ सब हो जाएगा मत परेशान हो अभी बुलाए है कुछ लड़के ।
सारे दोस्त आ गए और फटाफट हँसी मजाक के बीच चल दिए सजधजकर दुल्हन लेने पास में ही था लड़की का गाँव नाचते गाते पहुंच गए सारे इंतजाम एकदम बढ़िया किसी चीज की कोई कमी नही।
वरमाला फेरे सब अच्छे से और भीगी पलकों के साथ जब दुल्हन की बिदाई हुई तो तो वरपक्ष की भी पलकें भीग गयीं अपनी प्राण प्रिया को इस तरह रोता देख उसका दिल तड़प उठा पर करता भी क्या यह तो होना ही था।
पर आज के बाद उसकी पलकों में एकआँसूं न आने देगा ऐसा वादा किया उसने खुदसे।
दुल्हन आ गयी पूरे शान से अपने पिया के घर।
सभी कामों के बाद वो मधुर बेला आ गयी जिसका हर लड़के लड़की को इंतजार होता है।
वह अपने पिया की प्रतीक्षा में घूँघट डाले बैठी थी पर यह क्या सारी रात न तो वो आया न कोई समाचार ।
पता नहीं कब आँख लग गयी जब सुबह उठी तो पतिदेव सोफे पर सोए थे देखते ही उसे अपनी गलती का एहसास हो गया मै सो गयी इसलिए नही जगाया शायदतभी ननद ने दरवाजे पर दस्तक दी भाभी जल्दी चलो कुछ रस्मे करनी है ।
और वो जल्दी से तैयार हो नीचे चली गयी पूरा दिन कामों में पता ही चला कब निकल गया एक बार भी पिया की सूरत तो दूर छाया भी न मिली फिर रात का समय आते ही मन के भाव जाग गए खूब अच्छे से तैयार हुई पर फिर सारी रात वो कमरे से नदारद थे।
सुबह पगफेरे की रस्म के लिए भाई के साथ मायके गयी भाभी सखियों ने कितनी मजाक की पर वह कैसे कुछ कहती सब कुछ कहकर सबकी खुशियों को दूर नही करना चाहती ,वह ज्यादा नही पर थोड़ी बहुत पड़ी लिखी समझदार लड़की थी उसके स्वभाव में गम्भीरता थी।
दूसरे दिन फिर सासरे आना हुआ फिर रात की वही क्रम।
सब मेहमान भी चले गए बस ननद रह गयी थी।
आज उसके विवाह को पूरे बीस दिन हो गए पर पति के दो शब्द तो दूर दर्शन भी न हुए सारा दिन वह ऑफिस रहता रात्रि में पता नही कहाँ गायब हो जाता।
एकदिन हिम्मत करके यह सब सास को बोला तो वह फूट फूटकर रो दी।
बेटा मुझे इसी बात का डर था अब सब कुछ तेरे हाथ है इस कुल के दीपक को अब तू ही बता सकती है।
माँ जी आप ऐसा क्यों बोल रही हो बताओ मुझे सब बिल्कुल बे झिझक अपनी बेटी समझके।
बेटी बात आज से 2 बर्ष पहले की है जब सत्य एक बराबर बाले गाँव
की लड़की से प्रेम करता था वो भी बहुत चाहती थी हम तो शादी को तैयार हो गए पर उसके माँ बाप न माने एक रात अपनी ही बेटी को मार दिया ।
अपने प्यार को न पाने और आकाल मौत के कारण वह पिशाचनी बन गयी अब हर रात सत्य की अपने साथ ले जाती है हमने बहुत पैसा खर्च किया पर कोई फायदा न हुआ सबका एक ही कहना इससे छुटकारा तो तू ही यानि इसकी पत्नी दिला सकती है अगर सत्य एक रात जो अमावस्या की होती है उसके पास न जाये तो उम्रभर को उससे छुटकारा पा लेगा ,
और उस आत्मा को भी मुक्ति मिल जाएगी ।
दो दिन बाद है वी अमावस्या की काली रात पर बेटा इतनी फूल सी नाजुक तू यह सब कैसे कर पाएगी ।
माँ जी बिना उनके मेरा जीवन भी व्यर्थ है अगर मेरे कुछ भी करने से वह सुरक्षित हो सकते हैंतो मै वो सब करूँगी बस कोई समझा दे करना क्या है।
ठीक है बहु मै आज ही पड़ोस के गाँव से तांत्रिक बुलवा लेती हूँ।
शाम तक तांत्रिक आ पहुंचा और बहुत कुछ बताया बोला मै हवन करूँगा जब तक हवन पूरा न हो सत्या किसी भी कीमत पर घर से बाहर नही जाना चाहिए।
हवन की आखिरी आहुति के लिए तुम्हारा रक्त चाहिए होगा बेटी।
आप चिंता मत करो बाबा एक औरत अपने सिंदूर की हिफाजत के लिए कुछ भी कर सकती है।
पर बेटे तुम्हें आज से ही सतर्क रहना होगा दो दिन तक पूरे एहतियात के साथ क्योंकि तुम उसकी राह का रोड़ा हो पहले तुम्हे ही हटाएगी।
आप चिंता न करें मुझे अपने इष्ट पर पूरा भरोसा है।
तांत्रिक का इंतजाम बाहर कर दिया गया।
रात का पहर पर आज सत्यम कहीं नही गया अपने रम मे था सारे काम निपटाकर सुजाता उसके पास गयी कुछ पल अच्छे से बातें करने के बाद उसके स्वभाव और शरीर मे परिवर्तन होने लगा उसने कसकर सुजाता के बालों को पकड़ लिया चेहरा विकृत हो गया आवाज डरावनी ।
तू छीनेगी मुझसे मेरे प्यार को मै तुझे ही नही छोडूँगी अरे आपको क्या हुआ मै आपकी पत्नी ।
Hahaha पत्नी सिर्फ नाम की सात फेरों की है तू असली हक तो मेरे पास है।
चीख पुकार सुनकर सभी दौड़ पड़े तांत्रिक भी जल लेकर कुछ पढ़कर फेकने लगा वभूति जैसी सुजाता भी सबको देखकर थोड़ी हिम्मत बांध ली गायत्रीमंत्र का जाप करने लगी याब मन्त्र का उच्चारण उसे कमजोर करने लगा और उसने जाना ही उचित समझा एक भयंकर अट्टाहास के साथ फिर आऊंगी में सत्य मेरा है उसे मुझसे कोई नही छीन सकता,
तब तक सत्यम को होश आया अरे आप सब यहाँ क्या हुआ और सुजाता को यह चोट कैसे आयी ।
अपने लिए इतनी परवाह देख उसका न प्यार से भर गया मुझे कुछ नही हुआ औऱ आपको मै कुछ होने नही दुंगी।
याब बचा था एक दिन सुजाता को अपने आस पास भयानक चेहरे हंसते रोते भयंकर अट्टाहास करते दिखाई देते पर हिम्मत से चलती जाती।
आज अमावस्या थी सुबह से उसका व्रत था उसने सत्य को सब कुछ बता दिया था वह भी इस सब से छुटकारा चाहता था।
वह अपने रूम से बाहर नहीं निकला रात के 12 बजे हवन शुरू हो गया,जोर जोर सर मन्त्रोउच्चारण होने लगा और वह सत्य के शरीर मे
आने को व्याकुल हो उठी उसके सत्या के शरीर मे आने से रोक रही थी सुजाता।
आज उसने बहुत चौड़ी सी माँग भर सिंदूर लगाया था मंगलसूत्र आगे कर रखा था।
दोनों की शक्ति उधर हवन मन्त्र उच्चारण की ध्वनियों से वह घबरा उठी उसने सुजाता को एक हवा के झोंके से धक्का दिया पर तांत्रिक ने
भभूति से हवा का रख बदल दिया।
अब हर तरफ भयंकर आकृति चीख पुकार होंने लगी एक डरावना से शमाँ बंध गया ।
सुजाता थर थर कांपने लगी सत्यम बेहोश पड़ा था बूढे माँ बाप आँसुओ से भीग रहे थे अपनी फूल सी बहु जिसे बड़े अरमानों से लाये थे आज इतने दुखों में घिर गई थी ईश्वर से प्राथना कर रहे थे उसे इस सबसे लड़ने की शक्ति दे।
सुजाता बिल्कुल असहाय हो गयी पर उसने हिम्मत न छोड़ी याब समय था आखिरी आहुति का सुजाता को सभी घेरे खड़े थे वह नही चाहते थे वह अपने रक्त की बूंदे हवन में अर्पित करे
वह दो कदम आगे बढ़ती तेज हवा चार कदम पीछे कर देती।
तभी वह जोर से गिरी उसकी मांग का सिंदूर छिटककर एक गोला से बन गया सत्यम उस गोले के अंदर गिरने से सुजाता का हाथ जोर से किसी चीज से टकराया और खून की धार वह निकली उसकी कुछ बूंदे हवन कुंड में जा गिरी रक्त की आहुति पूर्ण हो गयी इस होते ही सभी पिशाच उस हवन कुंड में स्वतः ही कूद पड़े।
और वो पिशाचनी यह कहकर हवन कुंड में जा गिरी तेरा सिंदूर जीत गया पर अगले जन्म में तू मुझसे नही छीन पाएगी।
फिर सुजाता एक सुहागन के हक से बोल पड़ी सात फेरों में सात जन्मों के लिए बन्ध गये हम न इस जन्म न अगले सात जन्म कोई इन्हें पा सकेगा सात जन्मों तक हम एक दूजे के है।
अगर दोवारा हिम्मत की तो अंजाम यही होगा ।
सके सुहागन के मांग का सिंदूर केवल लाल रेखा सजावट नही यह मंगलसूत्र केवल काले मोतियों की माला नही,एक सुहागन केवल कोमलांगना ही नही समय पड़ने पर धारण कर लेती है रणचंडी का रूप।
ढाल बन जाता है उनका मंगलसूत्र और सिंदूर,
भागकर सत्यम ने उसके बेसुध होते शरीर को थाम लिया जब उसकी आंख खुली तो वह अपने रूम में अपने पिया की बाहों में थी ।
याब कैसी तवियत है तुम्हारी ,
मै ठीक हूँ।
दर्द तो नही न कहीं ,
नही,
आप मेरे पास तो भला कौन सा दर्द मुझे परेशान करने की हिम्मत कर सकता है,
दोनों को खिलखिलाने की आवाज से सारा घर गूँज उठा ससुर भी ऐसी बहु पाकर अपने घर में स्वर्ग से अनुभव करने लगे।
कुछ समय बाद महक उठा उनका घर आँगन नन्हे मुन्ने की किलकारियों से।
RISHITA
29-Sep-2023 07:29 AM
Awesome story
Reply
🤫
03-Sep-2021 05:57 PM
बढिया कहानी....
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Sana khan
01-Sep-2021 06:14 PM
Achi kahani
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